September 6, 2025
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~ संजय आचार्य वरुण

भगवान श्रीराम जब धरती पर अपनी लीला को विश्राम देकर वैकुण्ठ धाम को प्रस्थान कर रहे थे, तब उन्होंने अपने परम भक्त पवनपुत्र हनुमान जी को कलिकाल के अन्त तक धरती पर रहने, भक्तों की सहायता करने और पावन भगवत कथाओं का प्रचार-प्रसार करने की आज्ञा दी। हनुमान जी चिरंजीवी महान रामभक्त हैं। कहा जाता है कि आज भी जहां पावन राम कथा अथवा राम नाम संकीर्तन होता है, हनुमान जी किसी न किसी वेश में वहां उपस्थित हो जाते हैं। यह भी कहा जाता है कि गोस्वामी तुलसीदास जी जब राम चरित मानस की रचना कर रहे थे, तब स्वयं हनुमान जी उन्हें दर्शन दिया करते थे। तुलसीदास जी के प्रति हनुमान जी का यह अनुग्रह इसलिए था क्योंकि तुलसी बाबा भी हनुमान जी की भांति श्रीराम जी के परम भक्त थे।

Hanuman Jayanti: हनुमान जी का जन्म कहां हुआ? क्‍या वो अजन्मा हैं? क्या वो प्रगट हुए? - Where was Lord Hanuman born valmiki-ramayana-told-everything

आज कलियुग में भी हनुमान जी भगवान श्रीराम की आज्ञानुसार भक्तों पर कृपा करके उनकी हिचकोले खाती नैया को पार लगाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में खराब मंगल के प्रभाव से बचने के लिए हनुमान जी की आराधना करने का सर्वमान्य उपाय बताया जाता है। हनुमान जी मंगल ग्रह के स्वामी हैं। एक मत के अनुसार मंगल हनुमान जी के भक्त हैं। ये दोनों ही शक्ति, ऊर्जा और साहस के द्योतक हैं, इसीलिए हनुमान जी की उपासना करने से मंगल के दोष समाप्त होते हैं और जातक में शक्ति, ऊर्जा और साहस का संचार होता है। ज्योतिष शास्त्र में मंगल को सेनापति माना गया है अर्थात मंगल एक योद्धा है। हमारा जीवन भी एक तरह का युद्ध है, इसमें हमें एक वीर योद्धा की तरह विषम परिस्थितियों से निरन्तर लड़ना होता है। लड़ने की यह क्षमता और साहस हमें जन्म पत्रिका में विराजमान मंगल से मिलती है। यदि हमारा मंगल बली नहीं है, कमजोर है अथवा खराब है, वक्री है, अस्त है तो हमें जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन परेशानियों से बचने का सीधा और सरल उपाय है हनुमान जी की आराधना। जो जातक लग्न से या चन्द्र लग्न से मांगलिक होते हैं उन्हें और मंगल को बली करने की इच्छा रखने वाले सभी लोगों को नियमित रूप से हनुमान जी के मन्दिर जाना चाहिए और हनुमान जी के चरणों का सिन्दूर लेकर तिलक करना चाहिए। मंगल के दोषों से पीड़ित व्यक्ति को प्रतिदिन भावपूर्वक हनुमान चालीसा के पाठ करने चाहिए। शनिवार और मंगलवार को अपने ज्योतिषाचार्य के परामर्शानुसार हनुमान जी को गुड़- चना और मीठा पान अर्पित करना चाहिए। रामनाम का जाप करने से भी हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और अच्छे स्वास्थ्य सहित सुख- समृद्धि तथा साहस प्रदान करते हैं। परम श्रद्धेय प्रात: स्मरणीय सन्त शिरोमणि रामसुखदास जी महाराज अपने कार्य सिद्ध करवाने के लिए बजरंग बाण के पाठ करने की अनुमति नहीं देते थे। उनके वचन थे कि बजरंग बाण में हनुमान जी को कार्य करने के लिए बाध्य किया जाता है जो सामान्य भक्तों के लिए अनुचित है। परम पूज्य तुलसी बाबा हनुमान जी से विशेष प्रीति थी, इसलिए उन्होंने हनुमान जी को प्रेम वश जोर देकर कार्य सिद्ध करवाने वाले बजरंग बाण की रचना की। परन्तु हम सामान्य भक्तों को भगवान से अनुनय- विनय ही करनी चाहिए। हनुमान जी परम कृपालु स्वभाव के हैं। भावपूर्ण निरन्तर आराधना करने से वे तुरन्त कृपा करते हैं हनुमान जी की आराधना जीवन को सुगम और सरल बनाती है। आगामी आलेख में पढ़िए कि शनि ग्रह की बाधाओं से हनुमान जी कैसे बचाते हैं ?

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