September 6, 2025
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अभिनव न्यूज़, नेटवर्क।  पूर्व जलदाय मंत्री महेश जोशी को राजस्थान हाईकोर्ट से राहत नहीं मिल पाई है। जल जीवन मिशन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया गया है। जस्टिस प्रवीर भटनागर की अदालत ने सोमवार को यह फैसला सुनाया। अदालत ने इससे पहले 8 अगस्त को दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था।

महेश जोशी को ईडी ने 24 अप्रैल 2024 को गिरफ्तार किया था। उन पर जल जीवन मिशन में टेंडर प्रक्रिया के दौरान रिश्वत लेने और धन शोधन में संलिप्त होने के आरोप हैं। गिरफ्तारी के बाद से ही वे जेल में हैं। ईडी मामलों की विशेष कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की थी।
महेश जोशी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेकराज बाजवा ने बहस करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल को राजनीतिक दबाव में फंसाया गया है। एसीबी द्वारा दर्ज मूल केस में जोशी का नाम तक नहीं है। बावजूद इसके एक साल पुराने नोटिस के आधार पर उन्हें अचानक गिरफ्तार कर लिया गया। वकील ने यह भी कहा कि ईडी ने उन पर 2.01 करोड़ रुपए के लेन-देन का आरोप लगाया है, लेकिन इस बात का कोई ठोस साक्ष्य नहीं है। बाजवा ने यह भी दलील दी कि ईडी ने जोशी के बेटे की कंपनी में 50 लाख रुपए का लेन-देन दिखाया है, जबकि यह राशि एक लोन के तौर पर ली गई थी और बाद में लौटा भी दी गई। ऐसे में इसे अपराध का हिस्सा नहीं माना जा सकता।

वहीं ईडी की ओर से अधिवक्ता अक्षय भारद्वाज ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि जोशी ने विभाग की टेंडर प्रक्रिया में रिश्वत ली थी। उनके बेटे की कंपनी में 50 लाख रुपए का लेन-देन हुआ है, जिसे लौटाने से अपराध की गंभीरता कम नहीं हो जाती। ईडी ने तर्क दिया कि धन शोधन निवारण अधिनियम की धारा 45 के अनुसार आरोपी को तभी जमानत दी जा सकती है जब यह स्पष्ट हो कि वह अपराध में संलिप्त नहीं है। यदि महेश जोशी को जमानत दी जाती है तो वे गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। इसी आधार पर अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी।