

अभिनव न्यूज़, नेटवर्क। राजस्थान सरकार ने ग्राम पंचायतों की सार्वजनिक भूमि विशेषकर चरागाहों और तालाबों पर हो रहे अवैध अतिक्रमण के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी है। इस दिशा में शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए ग्राम पंचायत स्तर पर चरागाह समितियों को फिर से सक्रिय करने और अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं।
राज्य के पंचायती राज विभाग ने इस आदेश को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश की सभी जिला परिषदों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं। ताकि गांवों की सार्वजनिक भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया जा सके और उनके संरक्षण व विकास के लिए प्रभावी तंत्र विकसित हो।
नए दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रत्येक ग्राम पंचायत में पांच सदस्यों की चरागाह समिति का गठन किया जाएगा। इसकी अध्यक्षता वार्ड पंच करेंगे, जबकि अन्य चार सदस्य ग्राम सभा द्वारा चुने जाएंगे। यह समिति चरागाहों की देखरेख, संरक्षण और अतिक्रमण हटाने के कार्यों में सक्रिय भूमिका निभाएगी।
जिला स्तर पर भी निगरानी तंत्र होगा मजबूत
अतिक्रमण हटाने और चरागाह विकास कार्यों की निगरानी के लिए पहले से ही जिला प्रमुख की अध्यक्षता में बंजर भूमि एवं चरागाह विकास समिति का गठन किया गया है। इस समिति में विभिन्न विभागों के अधिकारी सदस्य होंगे और जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। इसके अलावा जिला कलेक्टरों को ब्लॉक और पंचायत स्तर पर समितियों के गठन के निर्देश पहले ही जारी किए जा चुके हैं।
पंचायतों को दिए गए ठोस दिशा-निर्देश
ग्राम पंचायतों को यह स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि जनवरी और जुलाई में सार्वजनिक भूमि का सर्वेक्षण कराया जाए, जिसमें चरागाह, तालाब और आबादी भूमि पर अतिक्रमण की जानकारी दर्ज की जाएगी। इसके लिए तीन पंचों की एक समिति बनाई जाएगी और ग्राम विकास अधिकारी एक विशेष रजिस्टर में सारी प्रविष्टियां दर्ज करेंगे। यदि किसी भूमि पर अतिक्रमण पाया जाता है तो सरपंच तत्काल निषेधाज्ञा जारी कर निर्माण कार्य को रोक सकते हैं। इसके साथ ही अतिक्रमणकारियों को बेदखली का नोटिस भेजा जाएगा और तहसीलदार को रिपोर्ट की जाएगी। जरूरत पड़ने पर पंचायत पुलिस सहायता भी ले सकेगी।
ग्राम पंचायतों के लिए जारी किए गए प्रमुख दिशा-निर्देश
1. जनवरी और जुलाई में पंचायत की सार्वजनिक भूमि (चरागाह, तालाब, आबादी भूमि) पर अतिक्रमण का सर्वे कराया जाएगा।
2. तीन पंचों की समिति बनाएगी सर्वे और ग्राम विकास अधिकारी एक रजिस्टर में विवरण दर्ज करेंगे।
3. अतिक्रमणकारियों को बेदखली का नोटिस जारी किया जाएगा।
4. अतिक्रमण की जानकारी मिलते ही सरपंच निषेधाज्ञा जारी कर निर्माण रोक सकेंगे।
5. चारागाह और तालाब की भूमि पर अतिक्रमण की रिपोर्ट तहसीलदार को भेजी जाएगी।
6. पंचायत, अतिक्रमण हटाने के लिए पुलिस की सहायता ले सकती है (राज. पंचायती राज अधिनियम 1994 की धारा 110)।
7. तहसीलदार द्वारा लगाए गए शास्तियां पंचायत निधि में जमा कराना अनिवार्य होगा।
अगर किसी पंचायत में अब तक चरागाह समिति गठित नहीं हुई है, तो उसका गठन तुरंत कराया जाए। ग्राम विकास अधिकारी को निर्देशित किया गया है कि वे अतिक्रमण की जानकारी रजिस्टर में दर्ज कर शपथ पत्र के साथ संलग्न करें। साथ ही खसरा नंबर सहित टॉप 10 अतिक्रमण प्रभावित ग्राम पंचायतों की सूची विभाग को भेजना अनिवार्य किया गया है।पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि गांवों की चरागाह और सार्वजनिक भूमि ग्रामीणों की धरोहर हैं। इसे निजी स्वार्थ के लिए कब्जाना अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत काम कर रही है। किसी भी हालत में चरागाहों को अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा।