July 7, 2025
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अभिनव न्यूज़, नेटवर्क। जयपुर के JJM घोटाले में ईडी ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए 18 लोगों के खिलाफ चार्जशीट पेश की है. इस चार्जशीट में पूर्व मंत्री महेश जोशी और उनके बेटे रोहित जोशी का नाम भी शामिल है. इसके अलावा श्री श्याम और गणपति ट्यूबवेल फर्म के अलावा संजय बढ़ाया, मुकेश पाठक, मायालाल सैनी जैसे कई नाम हैं. ईडी ने सभी आरोपियों के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया है, जिससे इस घोटाले में नए नामों का खुलासा हुआ है.

जयपुर जल जीवन मिशन में 900 करोड़ से अधिक के घोटाले में ईडी ने विशेष कोर्ट में पूरक चार्जशीट पेश की है. इस चार्जशीट में पूर्व मंत्री महेश जोशी और उनके बेटे रोहित जोशी समेत 18 लोगों के नाम शामिल हैं. रोहित जोशी की फर्म सुमंगलम लैंडमार्क और उनके करीबी संजय बड़ाया भी आरोपी बनाए गए हैं. अन्य आरोपियों में मैसर्स श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी, गणपति ट्यूबवेल कंपनी और मुकेश पाठक, मायालाल सैनी जैसे कई नाम हैं.

ईडी ने चार्जशीट में आरोप लगाया है कि जल जीवन मिशन में टेंडर प्रक्रिया में अनियमितताएं की गईं. आरोपियों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर विभाग की योजनाओं के टेंडर हासिल किए. ईडी ने कहा कि रिश्वत की रकम महेश जोशी के बेटे रोहित जोशी की कंपनी सुमंगलम लैंडमार्क एलएलपी में लगाई जाती थी, जो संजय बड़ाया के जरिए पहुंचती थी. पीएमएल एक्ट की धारा 3 और 4 के तहत आरोप लगाए गए हैं.

ईडी ने 18 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट पेश की है, जिसमें कहा गया है कि पदमचंद जैन और महेश मित्तल के बयानों से टेंडरों में अनियमितता और रिश्वत की बात स्पष्ट होती है. महेश जोशी के करीबी संजय बड़ाया का पीएचईडी विभाग के इंजीनियरों के साथ संपर्क था और उसने अनुचित तरीके से कई टेंडर हासिल किए. एसीबी ने पहले भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के चलते केस दर्ज किया था, जिसके बाद ईडी ने 100 करोड़ रुपये के लेनदेन का खुलासा होने पर मामला दर्ज किया.

हाल ही में ईडी ने 47.80 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की है, जिसमें महेश जोशी के परिवार की सांगानेर स्थित दो संपत्तियां शामिल हैं. इसके अलावा संजय बड़ाया की 8 प्रॉपर्टी, ठेकेदार महेश मित्तल की 25 करोड़ और पदमचंद जैन की 5 करोड़ की संपत्तियां भी अटैच की गई हैं. यह कार्रवाई जल जीवन मिशन घोटाले में की गई है.

इन कंपनियों की सफलता संदिग्ध थी, क्योंकि उन्होंने फर्जी अनुभव प्रमाण पत्रों का उपयोग करके टेंडर हासिल किए थे. इस अनियमितता के कारण विभाग को संभावित वित्तीय नुकसान हुआ और पारदर्शिता की कमी का पता चलता है. जांच एजेंसियों ने इस मामले में आगे की कार्रवाई के लिए जांच शुरू की है.

इस मामले में एसीबी ने अगस्त 2021 में जयपुर के एक होटल से जलदाय विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों को रिश्वत लेते गिरफ्तार कर जांच शुरू की थी. इसके बाद ईडी और सीबीआई ने भी केस दर्ज कर जांच आगे बढ़ाई. अब ईडी ने सभी दस्तावेज एसीबी को सौंप दिए हैं और चार्जशीट की प्रक्रिया अंतिम चरण में है, जिससे इस बड़े घोटाले में और अधिक खुलासे होने की संभावना है.