September 6, 2025
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ज्योतिषाचार्य डॉ. राकेश हर्ष

श्रावण मास देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने का सबसे उपयुक्त समय होता है।भगवान शिव आदि योगी हैं, भोलेनाथ हैं और संहारक भी हैं। वे प्रसन्न हो तो जीवन को सुख- समृद्धि और आनंद से भर देते हैं। भगवान शिव दूसरे सभी देवी- देवताओं से अलग हैं इसलिए उनकी उपासना में भक्तों को कुछ विशेष मर्यादाओं का ध्यान रखा चाहिए। कुछ वस्तुएँ ऐसी हैं जो भोलेनाथ को अत्यंत प्रिय हैं, उनको चढ़ाने से शिव प्रसन्न होकर अपनी कृपा करते हैं परन्तु कुछ वस्तुएँ ऐसी हैं जो भूलकर भी भगवान शिव को अर्पण नहीं करना चाहिए। इससे अनिष्ट होने की आशंका रहती है। मुख्य रूप से यहां पर चार वस्तुओं का उल्लेख किया जा रहा है-
हल्दी : शिव परम वैरागी है, हल्दी सौन्दर्य प्रसाधन की वस्तु है। इसलिए हल्दी का प्रयोग शिव को अर्पण करने हेतु नहीं करना चाहिए।
तुलसी : तुलसी भी भगवान शिव को अर्पण करना वर्जित है। इसके पीछे यह कारण है कि तुलसी का पति जलंधर एक असुर था और उसका वध शिव ने ही किया था, इसलिए तुलसी भगवान शिव को नहीं चढ़ाई जाती।
कुमकुम : कुमकुम भी शिव को नित्य अर्पण करना वर्जित है । केवल शिवरात्रि के दिन शिव को कुमकुम लगाया जाता है।

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केतकी का फूल :

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, केतकी का फूल भगवान शिव को अर्पित करना वर्जित है। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव और ब्रह्मा जी के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हो गया. इस दौरान, केतकी के फूल ने ब्रह्मा जी के पक्ष में झूठी गवाही दी. इससे क्रोधित होकर शिवजी ने केतकी के फूल को अपनी पूजा से बहिष्कृत कर दिया। इसके अलावा लाल रंग का कोई पुष्प भी शिव को नहीं चढ़ाना चाहिए।

शंख : शंख का उपयोग मंगल ध्वनि उत्पन्न करने के लिए करते हैं। शंख की ध्वनि से वातावरण की नकारात्मकता नष्ट होती है और सकारात्मक वातावरण का निर्माण होता है, इसीलिए सभी मन्दिरों में शंख अनिवार्य रूप से होता है लेकिन महादेव के निज मन्दिर में शंख नहीं रखा जाता है। इसका कारण ये है कि शंख असल में शंखचूड़ नाम का एक दैत्य था और उसका संहार भगवान शिव ने ही किया था, इसलिए शिव मंदिर में शंख नहीं रखना चाहिए।

भगवान शिव को ईख यानी गन्ने का रस प्रिय है। अगर कोई व्यक्ति लगातार 41 दिन तक शिव को ईख का रस चढ़ाए तो जीवन में सुख समृद्धि के द्वार खुलते हैं। प्रत्येक देवी- देवता को चढ़ाया गया प्रसाद ग्रहण करना ही चाहिए परन्तु शिवलिंग को अर्पित कोई भी वस्तु या प्रसाद ग्रहण नहीं करना चाहिए। उपरोक्त सभी बातों का ध्यान रखते हुए यदि हम शिव उपासना करेंगे तो हमारे जीवन पर भोलेनाथ शिव असीम कृपा करेंगे और हमारा जीवन सुखमय, समृद्ध तथा आनंदमय बनेगा।

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