




~ संजय आचार्य वरुण
देश के अनेक हिस्सों में मानसून सक्रिय हो चुका है। गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार और उड़ीसा आदि अनेक प्रांतों में मेघ जमकर बरस रहे हैं। इन प्रांतों के अनेक गांव और कस्बे जलमग्न हो चुके हैं। बरसात के मौसम में ये हालात हर बार बनते हैं लेकिन कभी ऐसा नहीं हुआ कि मानसून के आगमन से पहले ही सरकारें और स्थानीय प्रशासन सतर्क होकर बाढ़ के हालात से निबटने के पुख्ता इंतजाम कर ले। ये हमारी प्रवृति बन चुकी है कि हम हालात बिगड़ने पर ही सक्रिय होते हैं।
जिन प्रदेशों में अभी तक मानसून का विधिवत प्रवेश नहीं हुआ है, वे केवल उसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। उनको चाहिए कि वे अभी से ही अतिवृष्टि अथवा बाढ़ जैसी परिस्थितियों से बचने की तैयारियां आरम्भ कर दे। राजस्थान में अनेक स्थानों पर बरसात का दौर आरम्भ हो चुका है लेकिन अभी तक ऐसी कोई तैयारी नज़र नहीं आ रही है कि अधिक बरसात के बाद यदि जल भराव की स्थितियां उत्पन्न हो जाए तो उनसे कैसे निबटा जाएगा ? राजस्थान हो या अन्य कोई प्रदेश, सभी स्थानों पर शहरों का विस्तार हुआ है, अधिकांश गांव भी पक्की सड़कों के साथ कंक्रीटी होते जा रहे हैं ऐसे में बाढ़ के हालात अपेक्षाकृत जल्दी बनते हैं।
अधिकांश शहरों में आज तक अतिवृष्टि के जल की निकासी के मार्ग नहीं हैं। सब कुछ राम भरोसे चल रहा है। नगर-निगम, नगर परिषद और नगर पालिका जैसी सरकारी संस्थाएं आज तक फाइलों में उलझी रहती हैं। कितनी हास्यास्पद स्थिति है कि बीकानेर में एक बड़ी बरसात के बाद सबसे पहले नगर-निगम परिसर और उसके आगे वाली मुख्य सड़क पर ही एक- एक, दो- दो फुट पानी भर जाता है और दो- तीन दिन तक यही स्थिति बनी रहती है। कितनी मजे की बात है कि जिस नगर निगम पर पूरे शहर की जल निकासी का दायित्व होता है, वह स्वयं ही जल भराव का शिकार हो जाता है। ऐसा बरसात के प्रत्येक मौसम में होता है लेकिन कभी भी दूरदर्शिता रखकर, ऐसी स्थिति नहीं बने, इसके लिए प्रयास नहीं किए जाते हैं। प्रदेश सरकार और स्थानीय प्रशासन को इस विषय पर अभी से ही सचेत हो जाना चाहिए। पानी सोखने वाली जमीन अब बची ही कहां है ? अधिकारी और कर्मचारी तब काम करेंगे, जब उन्हें ऊपर से निर्देश मिलेंगे। शहर के आकाश पर बादल छाए रहने लगे हैं। पिछले कुछ दिनों से भयंकर गर्मी पड़ रही है, इसलिए आगामी दिनों में अच्छी बरसात होगी, यह तय है। आने वाले हालात को पहले ही समझना होगा क्योंकि इन्द्र राजा कॉल करके नहीं आएंगे।